Chandrakala

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चंद्रकला (The Phases of Moon)

सूरज और चाँद के साथ हम सभी का विशेष रिश्ता रहा है। सूरज ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है तो चाँद शीतलता और मोहब्बत का। चाँद चंचल भी है…आसमान में इसके उदय और अस्त होने का कोई एक समय और स्थान निर्धारित नहीं है। सूरज की यात्रा पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ निश्चित है पर चाँद हमेशा पूर्व से पश्चिम जाए…ऐसा ज़रूरी नहीं। यह इसलिए है क्योंकि जिस तरह पृथ्वी अपने axis पर घूमते हुए सूरज की परिक्रमा करती है उसी तरह चाँद भी अपने axis पर घूमते हुए पृथ्वी की परिक्रमा करता है। प्रकृति के इस अद्भुत नियम से चंद्र उदय और अस्त के समय और स्थान में प्रतिदिन अंतर होता है…

बाम-ए-मीना से महताब उतरे,
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आए (फैज़ अहमद फैज़)

परिक्रमा के कारण चाँद पर सूर्य प्रकाश की मा‌त्रा में भी अंतर होता रहता है और अमावस्या से पूर्णिमा तक हमें चाँद अपने चेहरे का शनैः शनैः दर्शन देता है। इस चंद्रकला का हर एक नज़ारा अपने आप में लाजवाब है। अमावस्या के कुछ दिन बाद जब सूर्य प्रकाश चाँद के उस हिस्से को रौशन करता है जो सूरज की तरफ है तब चाँद का crescent आकार बनता है । पर सूर्य प्रकाश पृथ्वी से टकरा कर चाँद के बाकी हिस्से को भी हल्का-सा रौशन करता है। इस दिलकश नज़ारे को ‘Earth Shine’ कहते हैं और यह मुझे अतिप्रिय है। अनेक कवियों और शायरों को अपने जज़्बात को अल्फाज़ का रंग देने में चाँद ने सदियों से प्रेरित किया है। एक दिलचस्प सत्य यह भी है कि पृथ्वी वासियों को चाँद का केवल 50–60% चेहरा ही दिखाई देता है। यानी कि चाँद का छिपा हुआ चेहरा पृथ्वी से कभी नज़र नहीं आता…

खूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं,
साफ छिपते भी नहीं सामने आते भी नहीं (दाग़ दहलवी)

पूर्णिमा का चाँद कुछ यह बयान करता है कि चाँद की सतह सरल नहीं है, उस पर भी दाग़ हैं! कभी वहाँ भी ज्वालामुखी का प्रकोप था। वहाँ meteors और asteroids का भी लगातार आक्रमण होता रहा है। इस कारण चाँद पर विशाल craters बन गए हैं। पर इस से चाँद कि सुंदरता में तो कोई कमी नहीं आती, है ना? अजी जनाब! कौन है ऐसा जिसने अपने जीवन में ठोकरें न खाई हों? मेरे दोस्तों ! कतई मायूस ना हों और अपनी आशिक़ी में कोई कमी ना लाएँ…चाँदनी का लुत्फ़ लेते हुए बेझिझक अपनी माशूका की तारीफ में फरमा दीजिए…

चौदहवीं का चाँद हो या आफ़ताब हो,
जो भी हो तुम खुदा की क़सम लाजवाब हो (शकील बदायुनी)

Image Gallery: On Day 1, moon is invisible as only 1% of its surface is sunlit